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What is Astrology ?

ज्योतिष जिसे इंग्लिश में एस्ट्रोलॉजी और उर्दू में नज़ूम बोला जाता है वास्तव में एक संपूर्ण विज्ञानं है! जीवन जीने की कला है! पुराने ग्रंथो में इसे तीन भागो में बांटा है, जिसमे 18 सिद्धांत और 16 लेख है! भारत और विश्व के दूसरे हिस्सों में ज्योतिष की लगभग 300 पद्धतिया विकसित हुईं है! ये सब प्रणालियाँ प्रासंगिक तो है पर इनका वैज्ञानिक आधार नहीं है!
ज्योतिषशास्त्र ताराशास्त्र पर आधारित है और हिन्दू दर्शन में ज्योतिष के जो नियम महर्षि पाराशर ने प्रतिपादित किये है वही वैज्ञानिक ज्योतिष का आधार है! आज जिसे हम वैदिक ज्योतिष कहते है पाराशर नियम मूलतः चन्द्रमा की गति पर आधारित है!जबकि पाश्चात्य ज्योतिष सूर्य के आधार पर चलता है और जिस राशि में जन्म के समय सूर्य होता है वही सूर्य राशि कहलाती है! प्राणी के पूर्ण शरीर में हर अंग, हर रिश्ता, हर वास्तु ज्योतिष में बताये गए सभी 9 ग्रहों के अनुसार ही है! 12 राशियाँ और 9 ग्रह इनसे जीवन, शरीर, वातावरण, रिश्तेदार, सुख, दुःख,संतान,मकान, शत्रु, बिमारी, वैभव, दुःख, प्रताड़ना आदि कुछ भी अलग नहीं है!

Why Astrology ?

जीवन में किसी न किसी छोर पर हर व्यक्ति को कभी न कभी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है! मनुष्य का  ये स्वाभाव है की वह अपने बुरे समय के आंकलन के लिए अक्सर ज्योतिषियों की सहायता लेता है! किन्तु अधिकांशतः  भविष्य वक़्ता समस्या के निदान की आड़ में निदान कम और शोषण ज्यादा करते है! मोटे तौर पर ऐसे व्यक्तियों द्वारा सुझाये गए उपवास, पूजा, अनुष्ठान या रत्न पहनने की सलाह का कोई आधार ही नहीं होता! एक साधारण प्राणी ये जानता ही नहीं की वो जिस व्यक्ति से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहा है वह स्वयं ही भटका हुआ है! ज्योतिषियों द्वारा सुझाये गए व्रत, उपवास, पूजा पाठ, अनुष्ठान या रत्न अक्सर किसी वैज्ञानिक आधार पर न होकर भटके हुए प्राणी को रास्ता दिखाने की बजाये और ठगने के प्रयास में बताये जाते है!

असल में हमारे इस जन्म के भोग अच्छे या बुरे, पिछले जन्मों के कर्मों का फल है! यदि हम बबूल बोतें है तो निश्चित जानिए की हमें आम तो नहीं मिलेंगे, काँटे ही मिलेंगे! कुंडली का नवां घर यह स्पष्ट करता है की हम पिछले जनम की कौनसी पूंजी अच्छी या बुरी साथ लाये है! और तीसरा घर यह स्पष्ठ करता है की हम क्या साथ ले जायेंगे! इस तरह यह कर्मफल बदला नहीं जा सकता! उपाय से भी नहीं, इसी को प्रारब्ध कहते है! भाग्य या निति कहते है!
हम अपने कर्मों द्वारा कर्मफल में कमी या वृद्धि कर सकते है अथवा कुछ देर के लिए उसे टाल सकते है! जीवन का सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है, जिसे नहीं टाला जा सकता पर प्राणायाम के द्वारा अपनी सांसों को रोककर जीवन को कुछ लम्बा जरूर किया जा सकता है! इसी तरह उपाय करने का भी एक निश्चित आधार है! 

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